सही विधि से किया गया स्नान से घर की दरिद्रता दूर होती है सुख समृद्धि अति है |

स्नान करने तीन मुख्य तरीके है शास्त्रों के अनुसार

1) देव स्नान
आज के समय में अधिकांश लोग सूर्योदय के बाद ही स्नान करते हैं। जो लोग ठीक सूर्योदय के बाद किसी नदी में स्नान करते हैं या घर पर ही विभिन्न नदियों के नामों का जप करते, विभिन्न मंत्रों का जप करते हुए स्नान करते हैं तो उस स्नान को देव स्नान कहा जाता है।

2) ब्रह्म स्नान
ब्रह्म मुहूर्त में यानी सुबह लगभग 4-5 बजे जो स्नान भगवान का चिंतन करते हुए किया जाता है, उसे ब्रह्म स्नान कहते हैं। ऐसा स्नान करने वाले व्यक्त्ति को इष्टदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन के दुखों से मुक्ति मिलती है।

3) ऋषि स्नान
यदि कोई व्यक्ति सुबह-सुबह, जब आकाश में तारे दिखाई दे रहे हों और उस समय स्नान करें तो उस स्नान को ऋषि स्नान कहा जाता है। सूर्योदय से पूर्व किए जाने वाले स्नान को मानव स्नान भी कहा जाता है। सूर्योदय से पूर्व किए जाने वाले स्नान ही श्रेष्ठ होते हैं।

सूर्य स्नान

स्नान के कई प्रकार?
शास्त्रों में समय अनुसार स्नान के कई प्रकार बताए गए हैं। पानी या किसी अन्य तरल में शरीर को डुबाकर या बिना डुबाये शरीर को धोना स्नान कहलाता है। स्नान कई प्रयोजनोंके लिये किया जाता है; जैसे- स्वच्छता, धार्मिक अनुष्ठान, चिकित्सकीय कारण आदि। लोग दूध, गो मूत्र, गंगाजल आदि में भी स्नान करते हैं। सूरज के प्रकाश में खुले बदन बैठना या लेटना भी सूर्य स्नान कहलाता है।

शाम को स्नान ना करें

रात के समय या शाम के समय नहाना नहीं चाहिए। यदि सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण का दिन हो तो उस स्थिति में रात के समय स्नान किया जा सकता है।

दानव स्नान
आज के समय में काफी लोग सूर्योदय के बाद और चाय-नाश्ता करने के बाद स्नान करते हैं, ऐसे स्नान को दानव स्नान कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार हमें ब्रह्म स्नान, देव स्नान या ऋषि स्नान करना चाहिए। यही सर्वश्रेष्ठ स्नान हैं।

नहाने का सही तरीका

– बाथरूम में आराम से बैठकर या खड़े होकर सबसे पहले पैर के पंजों पर पानी डालिए। रगडि़ए, फिर पिंडलियों पर, फिर घुटनों पर, जांघों पर पानी डालिए और हाथों से मालिश करिए।

– फिर हाथों से पानी लेकर पेट को रगडिएं। कंधो पर पानी डालिए, अंजुली में पानी लेकर मुंह पर मलिए।

फिर हाथों से पानी लेकर सिर पर मलिए।

– इसके बाद आप शावर के नीचे खड़े होकर या बाल्टी सर पर उड़ेलकर नहा सकते हैं।

– इस प्रक्रिया में केवल 1 मिनट लगता है। लेकिन इससे आपके जीवन की रक्षा होती है। इस 1 मिनट में शरीर की विद्युत प्राकृतिक दिशा में ऊपर से नीचे ही बहती रहती है। क्योंकि विद्युत् को आकर्षित करने वाला पानी सबसे पहले पैरों पर डाला गया है। इस प्रक्रिया में शरीर की गर्मी पेशाब के रास्ते बाहर आ जाती है। आप कितनी भी सर्दी में नहाए कभी जुखाम बुखार नहीं होगा।

नहाते समय 1 मिनिट तक या 21 बार ये मन्त्र बोलते हुई नहाना चाहिये

मन्त्र : ॐ ईं रं सूर्याय नमः

उच्चारण ऐसे करें ( ॐ ईंम रम् सूर्याय नमः )

ये मन्त्र बोलते हुई नहाने से आपके शरीश मे ऊर्जा का संचार होगा ओर लक्ष्मी आकर्षक होता है आपके शरीश बहुत ही तेज आकर्षक होगा जिससे आपके हर कार्य होने लगेंगे ये मन्त्र बहुत गुप्त ओर विशेष चमत्कारी है

नहाने के तुरंत बाद प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य को जल चढ़ाने से मान-सम्मान प्राप्ति होती है। सूर्य को जल चढ़ाने से सीधे हमें लाभ प्राप्त होते हैं। सुबह-सुबह के समय जल्दी उठने से ताजी हवा और सूर्य की किरणों से हमारे स्वास्थ्य को लाभ होता है, यह सभी जानते हैं। इसके अलावा सूर्य को जल चढ़ाते समय पानी के बीच से सूर्य को देखना चाहिए, ऐसे में सूर्य की किरणों से हमारी आंखों की नैत्र ज्योति भी बढ़ती है। सूर्य की किरणों में विटामिन डी के कई गुण भी मौजूद होते हैं। इसलिए जो भी व्यक्ति उगते सूर्य को जल चढ़ाता है वह तेजस्वी होता है, उसकी त्वचा में आकर्षक चमक आ जाती है।

समस्या जैसे तंत्र बाधा,भूत-प्रेत शैतानी शक्ति,काला जादू, ग्रहबाधा,अतृप्त आत्मा से परेशान ,भय या कोई बीमार जो ठीक नही हो रही हो ,कुंडली संबंधित कालसर्प योग- पितृदोष, मंगल दोष , चंद्र दोषआदि समस्याओं को तंत्र एवं साधनायो द्वारा निदान करना है |

Problems like Tantric obstruction, ghosts, evil power, black magic, planetary obstruction, troubled by unsatisfied soul, fear or any sick person who is not getting cured, horoscope related Kalsarp Yoga – Pitrudosh, Mangal Dosh, Chandra Dosh etc. problems can be solved through Tantra and Sadhanas. Have to diagnose.

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